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छोड़ो बहाना -लेखनी प्रतियोगिता -18-Apr-2022

बहाना बहाना बहाना, हर जगह तेरा ठिकाना
हर क्षेत्र में फैला रखा तूने अपना ताना-बाना।

राजनीति में चुनाव समय पर नेता करते वादे
जीत जाने पर आते बहाने, पूरे न होते आधे।

विद्यालय में सुनते रोज़ विद्यार्थियों के बहाने
सोचते कि शिक्षक इन बहानों से हैं अनजाने।

गृहकार्य किया किंतु कॉपी घर पर छोड़ दिया
पालतू पशु ने खा लिया कह रिकॉर्ड तोड़ दिया।

घर पर माँ से बच्चे करते नित अनेक बहाने
भाते न घर के साग-सब्ज़ी और सादे खाने।

माँ क्यों न आज हम कहीं बाहर घूमने चलते हैं
करो आप आराम घर पर खाने की छुट्टी करते हैं।

जोमाटो, स्विग्गी के खाने से हम काम चला लेंगे
माँ करती कितने काम, आज कष्ट न तुम्हें देंगे।

पति का बहाना होता है मासूमियत से परिपूर्ण
समाया होता बेचारापन उनमें जग का सम्पूर्ण।

शॉपिंग करते समय पैसे हुए ख़त्म या कार्ड भूले
बीवी के मायके जाने से पहले काम नभ छू ले।

चलना तो चाहता हूँ प्रिये पर हूँ बड़ा मज़बूर
रहूँगा सदा तेरे दिल में, समझना न मुझे दूर।

बहानों को देख-देख बन गयीं लोकोक्तियाँ
नाच न जाने आँगन हुआ टेढ़ा कहते हैं मियाँ।

काल करे सो आज  कर, आज करे सो अब
बहुत हुआ मानव बहाने बनाना छोड़ोगे कब।

समझा गए बड़े-बड़े ज्ञानी, संत और फकीर
बहानों में न व्यर्थ करो समय, बहे नैनों से नीर।

डॉ. अर्पिता अग्रवाल

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10 Comments

Swati chourasia

20-Apr-2022 04:33 PM

Very beautiful 👌

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Zakirhusain Abbas Chougule

19-Apr-2022 04:46 PM

Very nice

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Shnaya

19-Apr-2022 04:25 PM

Very nice 👍🏼

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